निरंतर ही अनगिनत भावनाओं से होते हैं हम रु ब रु,
अपरिचित कुछ चिरपरिचित पर फिर भी अभिन्न हैं इसके सब पहलू।
अनियंत्रित सी ये भावनाएं बनतीं हैं हमारी हरेक मनःस्थिति की साथी,
मन हो क्रोधित या आक्रोशित या प्रेरित, हर अवस्था में सिमटी हुई है भावना रूपी सारथी।
आकस्मिक स्थिति हो या मुश्किल परिस्थिति, नियंत्रित गतिविधियाँ हो या अवय्स्थित जीवनशैली,
भावनाओं का मायाजाल है बार विकराल।
है सभी वाक्यों का इसे आभास चाहे कैसी भी ही विषम परिस्थिति।
जन्म से लेकर मरण तक, बाल्यावस्था से यौवन तक,
अनंत रुपहले पह्लुनों की कशमकश के बीच, भावनाओं का करवट लेता है स्वरुप।
अनकहे एहसासों का इकलौता गवाह है ये मानवीय स्वरुप।
चाहे प्रेम की हो पवित्र दास्ताँ या फिर हो घृणा द्वेष की कहानी,
हरेक भाव की अभिव्यक्ति में है सक्षम भावना की जुबानी।
संयमित रूप से भावनाओं को व्यक्त करना है सच्ची अनुभूति,
विपरीत परिस्तिथि में यह देखती है हमारी विवेकपूर्ण अभिव्यक्ति।
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