Thursday, November 22, 2012

सत्य और असत्य की जंग




एक तरफ है अजन्मा, अधूरा, पर अपना कुछ कटु सच,
और दूसरी तरफ है 'झूठ' जो अक्सर बन जाता है इनका कवच।

कोरे पर कटु सच को यह छुपता है अवश्य,
किन्तु इसका दूसरा सत्य यह भी है की एक झूठ को छुपाने के लिए लगतें हैं कई झूठ।
यानि एक असत्य कर देता हैं सत्य तथ्यों से सबको पूरी तरह विमुख।

कोई एक गलती अक्सर बना देती है हमें अवैध आदतों का शिकार,
पर उन आदतों जैसे झूठ बोलने की लत आदि आदतों को खुद पर हावी होने देना या न देना करता है हम पर निर्भर।

हमारा आचार विचार और व्यवहार ही हैं हमारे विश्वशनीय साथी,
अतः इनकी निगरानी और परवरिश में जरूरी है इमानदारी।
असल में संयम और विवेक की है सब कारीगरी।

क्षणिक सुख का त्याग और जीवन के असली मूल्यों की पहचान है प्रत्येक के लिए आवश्यक,
अन्यथा, अपनी ही आदतें बनती हैं भविष्य में कठोर कष्ट का कारक।




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