शब्द ब्रह्म है, शब्द कवच है,
सुयोग और सदुपयोग से यह रक्षक है,
अन्यथा एक निरर्थक अस्त्र है|
इसकी इतनी अहमियत के बावजूद कुछ लोग भूल जातें हैं इसका वजूद,
उनका न है उनके वाणी पर नियंत्रण, न है उनके पास शब्द के सदुपयोग क विवेक,
ईश्वर आप दें सबको सुबुद्धि, ताकि एहसास हो सबको कि शब्द है एक मूल्यवान पूँजी,
जिसका विवेकपूर्ण उपयोग देगा कई सुखद सुयोग,
और परिणाम होंगे इसके अनेकों अद्भुत।
शब्द रूपी पूँजी का मूल्य आवश्यक है समझना,
कैसी भी हो विषम और विपरीत परिस्तिथिति,
इसे ब्रह्मास्त्र बनाकर इस्तेमाल करना हि है सुनियोजित परियोजना|
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